इधर पट्रोल डीज़ल के दाम पर खूब बवाल मचा है डिफेन्स से लेकर अटैक तक सब अपना अपना खेल रहे हैं ... मैंने कभी इस पर कुछ नहीं लिखा.. मनमोहन सरकार थी तब भी नहीं, अभी भी नहीं ..डीज़ल पेट्रोल का खर्च और कमाई का अनुपात बना हुआ है..पेमेंट कार्ड से करता हूँ, एक बार में Rs 1000 का राउंड फिगर में डीज़ल लेता हूँ और नोटेबंदी के बाद Rs 7.34 हर बार वापस आ जाते हैं .. माह में तीन बार ऐसे ही, यही खर्च है इससे ज्यादा तो नहीं लेकिन कम हो सकता है..ये पोस्ट पेट्रोल डीज़ल के भाव को लेकर नहीं है .. बल्कि ऐसे बात को लेकर है जिस पर हमारे देश के अखबारी इकोनॉमिस्ट, रिपोर्टर..TV पर हर विषय के जानकार एंकर कभी कुछ नहीं बोलते ... कारण साफ़ है कि या तो ये इनके एजेंडा में नहीं है या फिर इनके पास इतना दिमाग ही नहीं कि ये गूढ़ विषय समझ सके और आगे बता सकें ...