Saturday 15 September 2018

अगले माह बनेगा एक इतिहास ... भारत जोड़ देगा अनेकों देशों को

2004 में अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार को जनता ने विदा कर दिया था ... जनता के लिए Shining India एक चुटकुला था  .. अभी भी कई लोग उसकी धमकी दे रहे हैं  ... कोई बात नहीं चुटकुले ने क्या नुक्सान कराया इस पर कुछ बात करते हैं जिससे आगे लोगों को समझ आए  ...

 90 के शुरुवाती दशक में ईरान ने पूरे विश्व के विकसित देशों को बताया कि वो चाबहार नामक जगह पर जो कि उसका समुद्री इलाका है वहां एक बंदरगाह बनवाने का प्रोजेक्ट देना चाहता है..इस काम को किसी भी देश ने नहीं लिया क्योंकि ईरान पर प्रतिबन्ध लगा था ...पूरा मामला जैसे उठा वैसे ही बैठ गया..April 2001 में भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने तमाम दबावों के बाद भी ईरान का दौरा किया ... ये दौरा खुले तौर पर अमेरिका को एक संकेत था ..पोखरण विस्फोट के बाद अमेरिका ने भारत पर तमाम प्रतिबंध लगा दिए थे  .. इस समय अटल जी द्वारा ईरान दौरा और व्यापारिक समझौता खुले तौर पर अमेरिका को सन्देश था कि हमारे पास रास्ते हैं और हम खोज लेंगे ... ईरान ने भारत को चाबहार बन्दरगाह बनाने का न्योता दिया और साथ में प्रत्येक स्तर पर ईरान के बिना शर्त समर्थन का वचन दिया..






.

इस मीटिंग के बाद भारत सरकार ने लैंड लॉक देशों की सूची तैयार किया और प्रोजेक्ट की फिजिबिलिटी पर काम शुरू किया  .. मामला सामने आया की भारत अगर चाबहार पोर्ट बनाता है तो भारत के व्यापारियों को ईरान, अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज़्बेकिस्तान, कज़ाकिस्तान, अर्मेनिया, अजरबेजान, तुर्कमेनिस्तान, जॉर्जिया के साथ ही पूरे लात्वियाई देशों जैसे Land Lock देशों का बाजार मिल जाएगा  .. यहाँ भारत को अनाज, सब्ज़ी, फल, दवाइयाँ, इंफ़्रा प्रोजेक्ट के साथ ही अन्य व्यापार करने के लिए रास्ता उपलब्ध हो जाएगा ... प्रोजेक्ट की फिजिबिलिटी रिपॉर्ट आने के बाद 2003 में भारत सरकार ने चाबहार बंदरगाह को बनाने का ईरान का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया  .. इसके लिए भारत ने ईरान को 150 मिलियन डॉलर का क़र्ज़ का शुरूआती लक्ष्य रखा..फिर 2004 आ गया और अटल जी को जनता ने रिटायर कर दिया..2002 में ही भारत - ईरान और रूस ने एक ऐतिहासिक समझौता किया था जो आगे पता चल जाएगा..
.
2004 से लेकर 2015 तक भारत का चाबहार पर काम कछुए की गति से होता रहा .. इस समय जो धीमी गति भारत ने दिखाई उसका फायदा चीन ने पाकिस्तान के साथ मिलकर उठाया और चीन तथा पाकिस्तान ने CPEC का समझौता किया जिसके अंतर्गत छाबरा से मात्र 70 मील दूर ग्वादर में चीन ने बंदरगाह बनाना चालू कर दिया ... इस समय हालाँकि भारत सरकार ने अमेरिका के चाहत के अनुसार अफगानिस्तान में तमाम Infra Project को करने में तेज़ी दिखाई और भारत ने अफगानिस्तान से ईरान की सीमा तक के लिए सड़क बनाया ... उधर चीन ने चाबहार की सुस्ती का फायदा उठाते हुए सभी land lock देशों को अपने यहाँ बने हुए माल से पाट के रख दिया ... भारत पिछड़ गया था इधर ...

2015 में भारत की मोदी सरकार और ईरान ने चाबहार पर काम चालू किया  .. आनन फानन में भारत ने जनवरी 2015 में एक PSU बनाया जिसका नाम है IPGPL - India Ports Global Private Limited जिसने ईरान के Aria Bandaer Iranian Port and Marine Services Company (ABI)  के साथ चाबहार को बनाने का समझौता किया 6 मई 2015 को ... इसके बाद अब तक चाबहार की प्रमुख बातें ...
.
1.  November 2017 में  चबाहर का पहला फेज का काम पूरा हुवा और माल ढुलाई के लिए खुल गया .. भारत ने अफगानिस्तान के लिए गेहूँ से भरा पहला जहाज़ कांडला बंदरगाह भेज दिया था..पहले भारत को अफगानिस्तान में सामान भेजने के लिए पाकिस्तान के इलाके का इस्तेमाल करना पड़ता था ..अब भारत को आसान हुवा Land Lock देशों में सामान भेजना ..पाकिस्तान के इलाके की कोई जरूरत नहीं रही ..
2. अगले माह यानी October 2018 को ईरान भारत को चाबहार पोर्ट चलाने के लिए पूरी तरह से सौंप देगा  ..
3. चाबहार बंदरगाह को भारत 10 वर्षों तक पूरा चलाएगा भी उसके इसका सञ्चालन ईरान को ट्रांसफर हो जाएगा ..
4.  भारत हमेशा के लिए बंदरगाह के 2 बर्थ को इस्तेमाल करेगा ...
5.  चाबहार को बनाने के लिए भारत ने ईरान को 150 Million $ का क़र्ज़ दिया है ..
6.  चाबहार को भारतीय सेना की देख रेख में पूरी तरह से भारत की कम्पनियों ने बनाया है  ..
7.  अगले 10 वर्ष तक इसका सञ्चालन भारत सरकार की कम्पनी India Ports Global Private Limited द्वारा किया जा रहा है .. उसके बाद दो बर्थ पर हमेशा के लिए भारत ही सञ्चालन रहेगा, और दो बर्थ हमेशा भारत के लिए रिज़र्व रहेंगे  ..
8.  भारत को चबाहर से प्रति वर्ष 22 Million $ का अतिरिक्त revenue मिलेगा .. जो अगले 10 वर्षों तक लगातार मिलता रहेगा ..
9.  मनमोहन सरकार द्वारा अफगानिस्तान से ईरान सीमा के ज़ेहदान तक लाइ गई सड़क को चाबहार तक पूरा कर दिया गया है ... अफगानिस्तान के सीमावर्ती क़स्बा जो जेहदान से जोड़ता है वो है जरंज ... भारत ने ही जरंज से अफगानिस्तान के अंदर दलाराम तक सड़क भी पूरी कर दी है .. ये सारा काम भारत ने किया है और इसके लिए भारत की कम्पनी को ठेके मिले हैं .....
10. चाबहार में भारत को हर कार्य में 30% का डिस्काउंट भी मिलता रहेगा
11. भारत को जरूरत मुताबिक़ कभी भी इस बंदरगाह के क्षमता के 75% तक इस्तेमाल करने को छूट होगी
12. माल ढोने के लिए अब भारत चाबहार से रूस तक रेलवे लाइन भी बिछाने जा रहा है .. इसके लिए भारत - अफगानिस्तान ईरान - रूस - तज़ाकिस्तान - उज़्बेकिस्तान - तुर्कमेनिस्तान - किर्गिस्तान के बीच समझौता हो चूका है ....
13. चाबहार बनने और जब रूस तक रेल लाइन बन जाएगी तो मुंबई से रूस के बीच 7200 KM दूरी का माल ढुलाई का समय 42 दिन से घटकर 14 दिन हो जाएगा ... 
14. मुम्बई से रूस तक के इस 7200 KM लाइन को नाम दिया गया है International North–South Transport Corridor. जिसमे समुद्र और जमीन से रास्ता तय होगा...NSTC project को भारत - ईरान और रूस पर May 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी जी की अगुवाई में समझौता हुआ था  ... अगले माह ये शुरू होकर इतिहास बनने जा रहा है  ... 
15. सड़क परिवहन और जहाज़रानी मंत्री नितिन गडकरी ने नवम्बर 2017 में बताया था कि दिसम्बर 2018 तक चबाहर पोर्ट पूरी तरह तैयार होकर सारे अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करते हुए पूरी तरह से operational हो जाएगा ... और अगले माह ये पूरी तरह तैयार होकर भारत को सौंपा जा रहा है  .. Work Completed as targeted  ...
.
पहले आपने Shining इंडिया के चुटकुले बनाए और अब मोदी के विदेश दौरों को लेकर खूब चुटकुले बनाए जाते हैं  ... लोग खिलखिलाते भी है  .. लेकिन उन कभी कार्यों और नतीजों को seriously जानने की कोशिश भी कर लिया करें  ... 
.
Sources:

Tolo News
Khaleej Times
Pakistan Today
Foreignbrief.com
Tehran Times
Tasnim News

No comments: