Saturday 10 March 2018

राजनीति में निजी लड़ाई का स्थान नहीं होना चाहिए

देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री रहे कम्युनिस्ट माणिक सरकार साहेब चुनाव हार गए..पिछले 25 वर्षों से शासन किया कम्युनिस्टों ने त्रिपुरा पर।प्र महानता देखिए, मुख्यमंत्री भी गरीब रहे और जनता भी..इसे ही तो शास्त्रों में समानता कहा गया है..सर्वहारा-सर्वहारा..करते-करते यह सर्वत्र हारेंगे।


जब देखिए तब ये कम्युनिस्ट कथित सवर्ण हिन्दुओं को चिढ़ाने के लिए मनुस्मृति को जलाएँगे (भले आज तक किसी कथित सवर्ण हिन्दू ने मनुस्मृति की कवर पेज तक न देखी हो), चण्डी को *ण्डी बोलेंगे, जबरन होलिका को कथित दलित साबित कर देंगे..
..पर ज्योहीं त्रिपुरा में व्यथित भीड़ ने भय से मुक्ति पाते ही लेनिन साहेब की मूर्ति ज़मीदोज़ की, वैसे ही इन कम्युनिस्टों की आस्था को गहरी चोट पहुँच गयी। बाबू चिढ़ाओगे न, तो अब इसी अंदाज़ में जवाब मिलेगा।

..क्योंकि सीधे मुंह तो ये कम्युनिस्ट सुनने वाले नहीं। इन कम्युनिस्टों के शासन इसीलिए लम्बे चलते हैं, क्योंकि अपने क्षेत्र में ये लोकतंत्र का गला घोंट देते हैं। ऐसा भय का माहौल पैदा कर देंगे कि कोई डर से या तो वोट देने नहीं जाएगा, या फिर इन्हीं को देगा..यही मोडस ऑपरेंडी ममता बानो सीख गयीं हैं..!!

पहले विपक्षी ईवीएम को दोष देते थे, अब कह रहे कि बीजेपी धनबल से जीती..हालाँकि कुछ बेवकूफ अभी भी ईवीएम-ईवीएम का रोना लगाए हुए हैं..अरे यार, अब जनता को ग़रीब रखे रहोगे, तो एक दिन तो जनता तुम्हारे भय से मुक्त होकर भिड़ जाएगी..आख़िर कब तक..??

उधर योगी जी ने बोल दिया है कि कासगंज में तिरँगा यात्रा में सम्मिलित चन्दन गुप्ता के हत्यारों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा..!! तिरँगा का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा किसी कीमत पर..

उधर सिरी सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम.. सॉरी सॉरी..सिरी सिरी रविशंकर जी, जो योगेन्द्र यादव जी के बाद, हिन्दुस्तान के दूसरे सबसे मेलाह-मेलाह के बोलने वाले अलौकिक-अद्वितीय-प्रचन्ड पुरुष हैं, उनका कहना है कि गर उनके फ़ॉर्मूले को नहीं माना गया श्रीराम जन्मभूमि मसले पर तो हिन्दुस्तान सीरिया हो जाएगा..

..अरे महाराज सिरी सिरी, एक जालसाज़ ज़ाकिर नाइक ने तो आपकी बोलती बन्द  कर दी आमने-सामने की बहस में, क्यों आप हिन्दुस्तान को सीरिया बना रहे..हिन्दुस्तान हिन्दुस्तान था, है और रहेगा..यहाँ की मिट्टी में वह ताक़त है कि लाख कुछ हो जाये, यह पवित्र भूमि कभी भी सीरिया नहीं बन सकती..गया वह ज़माना जब गधा जलेबी खाता था। इसको ज़ेहन में पैबस्त कर लिजिए..

हिन्दुस्तान दिल से उदार था, है और रहेगा..एकाध टुच्ची घटनाओं से आप इसके मूल चरित्र पर दाग़ नहीं लगा सकते..हाँ, इतना जरूर है कि अब इसने अपनी उदारता बरकरार रखते हुए भी प्रतिक्रिया देना सीख लिया है..आपको सर्वाइव करना है तो बाज़ बनना सीखना होगा, वरना सीधे पेड़ सबसे पहले कटते हैं इसका ध्यान रखिएगा..!!

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